वो बाते अब है नही तो ना सही, वो देर रात वाली बाते अब ना सही, तेरी सुकून देने वाली आँखे अब ना दिखे तो ना सही, दीवानगी है या जिद्द है या हद्द है ये मेरी 'बत्तमीजी' राख़ से ढकी है आग पर अंगीठी गरम है इश्क की आज भी. गमो की शाम है, और शाम... Continue Reading →
उम्र और पश्चाताप (A Hindi Poem On Regrets)
कभी ये कहा की कल ये करेंगे, कहा कभी काश कल ऐसा हुआ होता। बीत गया उम्र का हर पड़ाव जब तब यही एक पाठ सीखा। जो बीत गया कल वो थोडा कड़वा थोडा फ़ीका, कल याद कर कल भी खराब कर दिया काश बदल दिया होता जीने का तरीका। कुछ याद थी कुछ... Continue Reading →
..बस तुम्हे लगता है लड़की आम हो तुम!
कुछ हुई पूरी कुछ नही, मेरी ख्वाशिएं तमाम हो तुम। हफ़्तों से जो नही पी है मैंने मेरी वो शराब हो तुम।। अगर पूछूँ खुद से कि क्या हो तुम जवाब है, मेरी खुशियाँ तमाम हो तुम जो लिखूँ उर्दू तो रहीम हो, जो हो हिंदी तो राम हो तुम, बह के नदी के साथ... Continue Reading →